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पार्क वाली लड़की

 ट्रैफिक के शोरगुल ने मेरी नींद तोड़ दी,घडी पर नजर डाली तो सुबह के 7 बज चुके थे, खिड़की से नीचे झाँक के देखा तो रोज की तरह सिग्नल पर ट्रैफिक जाम लगा हुआ था, एक के पीछे एक लम्बी कतार में खड़ी गाड़िया, बेसब्री से हार्न बजाते लोग, सड़क किनारे खड़ा चाय वाला और जिंदगी को सिगरेट के  धुँए में उड़ाते कुछ लोग, मुंबई की सुबह कुछ ऐसी ही होती है |

वापस बेड पर जाने को पलटा तो.... Happy  Anniversary  कहते हुए मेरी पत्नी अनुष्का मेरे गले लग गयी, हैप्पी anniversary  to you  बोलते हुए मैंने भी उसे अपनी बाँहो में कस लिया | कहने को तो  हमारी शादी को पुरे 5 साल हो गए थे परन्तु प्रेम आज भी उतना ही है जितना की पहले हुआ करता था |

आज ऑफिस से जल्दी जाना डिनर के लिए बाहर जायेगे - अनुष्का ने कहा

जी, ओर कोई आदेश मेरे लिए कहते हुए में मुस्कुराने लगा तो वो भी हँस  पड़ी |

.

9 बजे मै ऑफिस में था,एक कॉफ़ी बोलते हुए फ़ोन रखा और कल होने वाली क्लाइंट मीटिंग के लिए प्रेजेंटेशन बनाने  लगा | काम खत्म कर के टेबल पर रखी  घडी पर नजर डाली तो दोपहर के 3 बज रहे थे, मैंने अपना लैपटॉप बंद किया और कैंटीन में चला आया |

मेरा अतीत मेरे वर्तमान पर हमेशा हावी रहा है, आज भी मुझे याद है 7 साल पहले जब मेरी नयी जॉब मुंबई में लगी थी, दिन भर Busy schedule होने बाद भी मैंअपने अपार्टमेंट के पास बने गार्डन में घूमने के लिए समय निकाल लेता था, पूरी कॉलोनी के लोग वही आते थे, गर्मी का मौसम था तो गार्डन की हरियाली,एक करीने से लगे पौधे और बीच में बना पानी का तालाब मन को एक सुकून देता था |

वो शाम एक रविवार की शाम थी, आज छुट्टी का दिन होने से बड़ी मात्रा में लोग घूमने आये थे, कुछ जॉगिंग कर रहे थे, कुछ परिवार के साथ मस्ती तो कुछ दोस्तों का ग्रुप सेल्फी लेने में व्यस्त था | एक आइसक्रीम का आर्डर देते हुए मै  पास लगी बेंच पर बैठ गया | 1 वाटर बॉटल प्लीज - आवाज एक लड़की की थी जो हाँफते हुए दूकानदार से पानी मांग रही थी | चेहरे से टपकती पसीने की बूंदे और तेजी से चलती धड़कन से बता रही थी की मोहतरमा जॉगिंग कर के आयी है |

पास ही टेबल पर बैठ कर वो पानी पीने लगी परन्तु मेरा ध्यान गर्मी की वजह से पिघलती मेरी आइसक्रीम की तरफ था, मै  जल्दी-जल्दी आइसक्रीम ख़त्म करने लगा |

Hiii.... वो खूबसूरत मोहतरमा जो कुछ देर पहले आयी थी अब मेरे सामने खड़ी थी |

Hello........ कहते हुए मैंने भी अपना हाथ आगे बढ़ा दिया | तुम इस सामने वाले अपार्टमेंट में रहते हो ? - उसने पुछा

हाँ  - मैंने संक्षिप्त में जवाब दिया और बची हुई आइसक्रीम को खत्म किया जो कि  आधी से ज्यादा पिघल चुकी थी |

मेरा अभी-अभी ट्रांसफर हुआ है इससे पहले में अपने शहर जयपुर में जॉब करती थी- उसने बोला शुरू किया, नया शहर नए लोग मेरे लिए थोड़ा मुश्किल है, कल तुमको अपार्टमेंटसे निकलते हुए देखा तो सोचा की तुमसे बात करू |

हाँ, मेरा नाम वैभव है फ्लैट . 45 में रहता हु और तुम ?

मै  फ्लैट . 38 में रहती हु और मेरा नामवो आगे कुछ बोल पाती उससे पहले ही उसका फ़ोन बज उठा ,फिर मिलते है, कहते हुए वो जाने के लिए उठ खड़ी हुई | उसके बाद अक्सर वो पार्क में जॉगिंग करते हुए दिख जाती तो Hii…Hello.. हो जाता |

एक दिन अलसुबह घर की  घंटी बजी तो दूध वाला आया होगा पैसे लेने ये सोच कर दरवाजा खोला तो सामने वो पार्क वाली मोहतरमा खड़ी थी, वैसे तो में उसे पिछले एक महीने से जानता था पर सच कहुँ तो अभी तक उसका नाम भी नहीं पता था |

प्लीज कम  इन - बोलते हुए मैंने उसे अंदर आने को कहा |

Sorry, इतनी सुबह Disturb  किया पर आज Holiday है और मुझे घर के लिए कुछ सामन लेना है, तो क्या तुम मेरे साथ मॉल चलोगे ?

पर आज के मेरे Movie Plan का क्या होगा ? मैंने मन में सोचा

खैर, दोस्त को मैसेज कर दिया की कुछ जरुरी काम गया है,Movie फिर कभी चलेंगे | कुछ देर बाद हम दोनों मॉल में थे | पहले ग्रोसरी, फिर घर का कुछ जरुरी सामान और फिर कुछ कपड़े | लड़कियों के कपड़ो में कितनी चॉइस और वैरायटी होती है, मै  मन ही मन सोचने लगा और एक हम लड़को के लिए सीधा शर्ट का साइज पूछ के बोल देते है- सर यहां से ले कर यहां तक 32 साइज है- आप खुद देख लीजिये | खैर दिन भर की शॉपिंग और डिनर के बाद में अपने कमरे में बैठा सोच रहा था की मैंने अभी तक उसका नाम क्यों नहीं पूछा?

अगले ही पल मोबाइल पर अनजान . से एक मैसेज आया, Thanks Vaibhavओह तो रेस्टॉरेंट के बिल से मोहतरमा ने मेरा Mob. No. लिया है |

No Need to Thanks,It Was My Pleasure - मैंने रिप्लाई किया

समय के साथ धीरे-धीरे हमारी दोस्ती भी बढ़ने लगी थी |

 हर सन्डे साथ में ब्रेकफास्ट, उसकी पसंद के गाने और साथ में ढेर सारी बातें  |अब ये दोस्ती रिश्तो के अगले पायदान पर जाने के लिए तैयार थी | ऑफिस के अलावा हमें जितना भी समय मिलता हम एक-दूसरे के साथ ही गुजारते,आज ऑफिस में क्या हुआ, किसने क्या किया जैसी ढेरो फालतू पर जरूरी बाते हुआ करती थी |

सर आर्डर ? - वेटर ने मेरा ध्यान खींचा तो में अतीत से वर्तमान में लौट आया | एक वड़ा पाव और एक चाय - मैंने कहा | घडी में दोपहर के 4 बज चुके थे| मोबाइल देखा तो अनुष्का के 2 SMS थे, एक मिस यू का और एक ये पूछने के लिए की मै घर कितनी बजे रहा हु, लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया |

मै एक बार फिर अपने अतीत में था, मुझे आज भी याद है, वो दिन जब आइसक्रीम शॉप में मैंने उससे कहा था, मोहतरमा 2 महीने से आपके साथ हु पर आज तक आपका नाम नहीं जान पाया, और आज से मै  तो आपको वैभवी बोलुँगा वैभव की वैभवीलेकिन मेरा नाम तो….. वो कुछ बोल पाती उससे पहले ही मैने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ….I Want to be With you Till my Last Breath.  क्या ये सच है ? उसने मेरी आँखों में आँखे डाल कर पूछा |

खाने में क्या खाया से ले कर खाने में क्या बनाऊं तक का सफर तय करना है तुम्हारे साथ”  तो वो हँस पड़ी फिर बड़ी संजीदगी से बोली मै भी अपना सारा जीवन सिर्फ तुम्हारे साथ बीताना चाहती हु |

सर आपका आर्डर,मै एक बार फिर वर्तमान में था, वेटर मेरे सामने  वडापाव और चाय का गिलास रख के चला गया, मैने कैंटीन में चारो और नजरे घुमाई तो वहाँ मेरे सिवा और कोई नहीं था,कहने को तो कंपनी में 300+ Employee  है पर इस समय कैंटीन पूरी खाली थी |

चाय से उठते गर्म धुँए को देख कर मुझे याद आया की, एक रात वैभवी (हाँ मै अब उसे वैभवी ही बोलता था ) मैसेज आया की कल सुबह की चाय तुम मेरे यहां पियोगे | अगले दिन में सुबह वैभवी के घर पहुंचा, घर के अंदर जाते हुए मैंने महसूस किया की पूरा घर बहुत व्यवस्थित तरीके से जमाया हुआ था, एक तरफ शेल्फ में रखी किताबे, टेबल पर रखा फ्लावर पॉट, दीवारों पर तंगी तस्वीरें और यह तक की टी.वी. का रिमोट भी अपनी जगह रखा हुआ था और इसके उलट मेरे फ्लैट मै हर चीज कम से कम उसकी जगह पर तो नहीं होती थी - मै मन में सोचने लगा |

क्या हुआ बैठो ना चाय बस बन ही रही है, उसने प्यार से कहा | मुझे पता है की तुम्हे चाय बहुत पसंद है तो मैंने सोचा एक बार इसी बहाने तुम्हे Invite कर लू, आज हमारे इस रिश्ते के  6 महीने पुरे हो चुके थे और बीते 6 महीने में हमने हर एक पल को एक दूसरे के साथ जिया था |

वैभव मुझे तुमसे कुछ बात करना है, चाय के 2 कप वो टेबल पर रखते हुए बोली |

हाँ बोलो - मैंने कहा

बात दरअसल ये है की , वो 2 मिनट के लिए रुकी |

मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, बोलो क्या बात है

वैभव, कल पापा का फ़ोन  आया था वो मेरे लिए लड़का देख रहे है और जल्द ही मेरी शादी भी करवाना चाहते है,इसलिए उन्होंने बोला है की मै जयपुर वापस जाऊ | 

मै सन्न था... मेरे होंठ सूख चुके थेऔर तुम... तुम क्या चाहती हो? - मैंने पूछा तो वो चुप थी

कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा था, कुछ देर पहले तक मीठी लगने वाली चाय अब कड़वी हो चुकी थी |

फ़ोन की घंटी बजी तो देखा क्लाइंट का मैसेज था, कल होने वाली मीटिंग के बारे में | मै वर्तमान और अतीत के दो पहियों के बीच खुद को उलझा हुआ महसूस करने लगा था |

उस दिन के बाद पुरे दो हफ्ते  मै वैभवी से नहीं मिला था | एक सुबह उठा तो उसका मैसेज था  की उसने जॉब छोड़ दी है और वो आज रात की 11 बजे वाली फ्लाइट से अपने शहर वापस जा रही है, जाने से पहले वो एक बार मुझसे मिलना चाहती है |

घडी में रात के 8 बज रहे थे, मै  Flat No/. 38 में था, वैभवी के सामने | क्या तुम सच में मुझे छोड़ के जा रही हो ? मैंने आँखों में उतर आये आंसू को साफ़ करते हुए पूछा | मुझे जाना पड़ेगा वैभव, चाहते हुए भी | मै  अभी इस स्तिथि में नहीं हु की पापा से अपने रिश्ते के बारे में बात कर सकू | एक बार फिर हम दोनों के बीच खामोशी ने पाँव पसार लिए थे, मै  उसे बताना चाहता था की उसके आने की बाद मुझे जीने की नयी वजह मिल गयी है,उसकी एक मुस्कान मेरे सारे दुःख-दर्द को गायब कर सकती | मै बोलना चाहता था की मैंने उसे खुद से भी बढ़ के माना है, मैंने उसे अपनी जिंदगी का हिस्सा नहीं बल्कि अपनी जिंदगी समझा है और उसके जाने के बाद में खुद को कितना अकेला मह्सूस करूँगा पर मै चुप था | घडी में 9 बज चुके थे, Cab वाला हॉर्न बजा रहा था,वो जाने के लिए उठ खड़ी हुई |

सब ले लिया है , कुछ रह तो नहीं गया - मैंने पूछा ?

सब कुछ तो यही रह गया है..........   अपना ख्याल रखना ….कहते हुए वो Cab में  बैठ गयी, आंसुओ को रोकने की तमाम कोशिशों के बावजूद 2 बुँदे उसके चेहरे पर लुढ़क आयी थी | 

बजते हुए फ़ोन की घंटी ने मेरा ध्यान वर्तमान में खींच लिया -  अनुष्का का फोन था, शाम के 6  बज गए है, वैभव तुम कब रहे हो ? बस निकल रहा हु -कहते हुए मैंने फ़ोन रख दिया | अतीत के सारे पन्नो को समेट कर रखते हुए मै घर जाने के लिए निकल चुका था, रस्ते में सिग्नल से एक गुलाब का फूल लिया और घर पहुँच गया | डोरबेल बजायी तो तुरंत ही दरवाजा खुल गया मानो अनुष्का मेरा ही इंतजार कर रही हो |

Happy Anniversary अनुष्का कहते हुए मैंने गुलाब उसकी और बड़ा दिया, गुलाब लेते हुए वो बोली मुझे आज अनुष्का नहीं , वो बोलो जो शादी के पहले बोला करते थे……….वैभवी... वैभव की वैभवी” बोलते हुए, वो किसी अमर बेल की भांति मुझसे लिपट गयी | थैंक्यू वैभव उसने आगे कहा.. अगर तुमने उस दिन एयरपोर्ट पर के मुझे नहीं रोका होता और जयपुर कर लाख कठिनाइयों के बावजूद मेरे पापा को नहीं मनाया होता तो शायद आज हम यहाँ  नहीं होते |

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