एक वायरस और चारो तरफ लॉकडाउन । लोगो के लिए ये एक बहुत बड़ी आपदा और कठिनाई भरा सफर है, परन्तु बच्चो के लिए शायद इससे ज्यादा सुनहरा समय ओर कोई हो ही नहीं सकता है | ना स्कूल जाने की झंझट, ना पढ़ाई का बोझ और ना ही परीक्षा का तनाव। सुबह जल्दी उठना भी जरुरी नहीं और ना ही जल्दी सोना | ना कोचिंग,ना होमवर्क,ना कोई प्रोजेक्ट और ना कोई असाइनमेंट। खैर कुछ बच्चो की ऑनलाइन क्लास चालू है परन्तु फिर भी दिनचर्या पहले की तरह व्यवस्थित नहीं है |
क्या आपने कभी ये सोचा है की इस आपदा के बाद जब सब कुछ सामान्य होने लगेगा तो आपके बच्चो का जीवन कैसा होगा?
क्या आपके बच्चे आने वाले संघर्षो और जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार है ?
क्या आपके बच्चे जीवन की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है ?
दिन भर घर में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से घिरे एक आभासी दुनियां में रहने वाले बच्चे क्या वास्तविक जीवन की सच्चाई से परिचित है ?
ऐसे समय में
माता-पिता की जिम्मेदारियां ओर भी बढ जाती है कि वे अपने बच्चो को वास्तविक जीवन हेतु
तैयार करे। बच्चो की नियमित दिनचर्या को बिगड़ने
ना दे क्योकि लॉक-डाउन के बाद फिर से जिंदगी अपने पुराने ढर्रे चल पड़ेगी ऐसे में बच्चो
के लिए उस परिवर्तन को स्वीकार कर पाना बहुत मुश्किल होगा।
उदहारण स्वरूप
रोज सुबह 9 बजे उठने वाला बच्चा क्या फिर से सुबह 7 बजे उठ पायेगा ? या दिन भर मोबाइल
और टीवी के साथ समय बिताने वाला बच्चा क्या किताबो में अपना मन लगा पायेगा ?
ऐसी स्थिति
में माता-पिता क्या कर सकते है -
- बच्चो को नियमित रूप से पढ़ने के लिए प्रेरित करे - किताबे,समाचार पत्र या कोई भी मैगज़ीन पढ़ने को कहे |
- बच्चो को नियमित रूप से लिखने के लिए प्रेरित करे,आज दिन भर की दिनचर्या लिखने को कहे , आज का अनुभव या कोई विशेष घटना लिखने को कहे जिससे की लिखने की आदत बनी रहे |
- नियमित रूप से व्यायाम करने के लिए प्रेरित करे, अगर बाहर नहीं जा सकते तो घर में रह कर भी योग-प्राणायाम किये जा सकते है |
- बच्चो को अपनी दिनचर्या बनाने तथा उसका पालन करने के लिए प्रेरित करे, हर एक चीज के लिए टाइम-टेबल निश्चित हो |
- नियमित समय पर सोने और उठने के लिए प्रेरित करे |
- इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों के उचित प्रयोग के लिए प्रेरित करे और सही मायने में उपयोगिता को समझाए |
- समय की कीमत समझाये, माना की बहुत सारा समय एक साथ मिल गया है परन्तु उसे व्यर्थ ना जाने दे, समय की अहमियत को जानना और समझना बहुत जरुरी है।
इसी के साथ
दिन भर में कुछ समय बच्चो के साथ अवश्य बिताये, उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ बनाये
और संघर्षो से भागने के बजाय उनका सामना करना सिखाये। प्रत्येक माता-पिता का नैतिक कर्तव्य है की वे अपने
बच्चो के सर्वांगीण विकास में सहयोगी बने तथा उन्हें जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने
में उनकी मदद करे।

Woww.. Very true
ReplyDeleteThanks
DeleteVery nice & True
ReplyDeleteThanks
DeleteVery nice thoughts.
ReplyDeleteThanks
DeleteWaaahhh
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteAmazing
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